UPI नियमों में ज़रूरी बदलाव – क्या है आपका फ़ायदा और नुक़सान

UPI एक रियल टाइम पेमेंट सिस्टम है, हम इसके द्वारा तुरंत पैसा एक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में ट्रांसफ़र कर सकते हैं , UPI के आने के बाद से पैसे ट्रांसफ़र करना बहुत आसान हो गया और सभी को इसका फ़ायदा हुआ।भारत में 1 महीने में क़रीब 12 बिलियन UPI ट्रांजेक्शन होते हैं , जो की एक बहुत बड़ा आँकड़ा है , ऐसे में एक समस्या सामने आयी है वो यह है की upi सिस्टम पर हैवी लोड पड़ रहा है जिससे कई बार ट्रांजेक्शन फेल हो जाते हैं इसके अलावा बैंकिंग सेक्टर पर भी अत्यधिक upi ट्रांजेक्शन को मैनेज करने का लोड पड़ता है , इस समस्या को सुलझाने के लिए और फैल ट्रांजेक्शन को कम करने के लिए कुछ नये नियम लाए गये हैं , जिनके बारे में हम विस्तार से जानेंगे ।

1. पहला नियम डेली लिमिट से संबंधित है ,इस नियम के हिसाब से अब UPI user ,50 बार से ज़्यादा अपना बैलेंस चेक नहीं कर पाएगा , इससे पहले हम जितनी बार चाहे बैलेंस चेक कर सकते थे ,जिससे सिस्टम पर ओवरलोड होता था इसे रोकने के लिए अब डेली लिमिट सेट कर दी गई है।

2. दूसरा नियम यह है की अगर हमारा एक से ज़्यादा बैंक में खाता है तो एक UPI app पर यह दिन में 25 बार ही दिखाएगा इससे ज़्यादा बार अगर हम इसे लोड नहीं कर पायेंगे।

3. तीसरा जो नियम है वह फैल ट्रांजेक्शन से जुड़ा है , ज़्यादातर peak hours यानी की जिस समय ज़्यादा ट्रांजेक्शन होते हैं जैसे की सुबह 10 से 1 और श्याम 5 से 9 का समय , इन समय पर फेल ट्रांजेक्शन लिमिट तय कर दी गई है । इसके अनुसार अब ट्रांजेक्शन फैल होने की स्थिति में UPI app ‘तीन’ बार से ज़्यादा ट्राय नहीं करेगा और ट्रांजेक्शन क्लियर या फैल स्टेटस में डाल देगा इससे पैसा स्टक नहीं होगा और ग्राहक दुबारा नया ट्रांजेक्शन कर पाएगा ।

4. चौथा नियम auto-pay सुविधा से संबंधित है , autopay में हमारा EMI , bills आदि जो ट्रांजेक्शन होते हैं जिसमे हर महीने ऑटोमैटिक फिक्स अमाउंट काटा जाता है , ये ऑटो पे ट्रांजेक्शन होते हैं । इस नियम के अनुसार अब ऑटोपे के ट्रांजेक्शन peak hours में नहीं होंगे , मतलब की जब upi apps पर हैवी लोड होता है उस समय autopay से पैसे नहीं काटे जाएँगे ।

5. इस नियम के अनुसार हर Upi app को TPS सेट करना होगा जिससे की अगर किसी भी एक upi app पर अगर ज़्यादा लोड हो गया तो उस समय वह काम नहीं करेगा और ग्राहक को दूसरे upi app का इस्तेमाल करना होगा ताकि एक ऐप पर अधिक लोड ना पड़े ।

6. इस नियम के तहत जो भी कस्टमर के फैल ट्रांजेक्शन है उसका जल्द से जल्द निवारण करने की कोशिश की जाएगी ताकि ग्राहक को असुविधा ना हो और अटका हुआ पैसा जल्द से जल्द खाते में जमा हो सके ।

7. आख़िरी ज़रूरी नियम upi कम्पनीज़ और बैंक से संबंधित है , अब upi apps owners को banks को एक फिक्स चार्ज देना होगा , क्योंकि सभी upi apps ट्रांजेक्शन का load बैंको पर पड़ता है , ऐसे में upi apps केवल लाभ उठाती हैं और बैंक को मैनेज करना होता है ,इसलिए अब इस सुविधा के लिए उन्हें बैंक्स को फिक्स चार्ज देना होगा , इन चार्जेस का कस्टमर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ।

कुल मिलाकर यह सभी नियम upi ट्रांजैक्शंस को सुविधापूर्ण बनाने , ओवरलोड को कम करने तथा कस्टमर को जल्दी फैल ट्रांजेक्शन का समाधान देने के लिए बनाये गये हैं ।

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