
हाल ही में पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच वीज़ा फ्री समझौता हुआ है ,जिसमें बांग्लादेश ने पाकिस्तानी अधिकारियों के लिए वीज़ा फ्री कर दिया है ।अब पाकिस्तानी अधिकारी बांग्लादेश में आसानी से आ जा सकेंगे । यह एक राजनैतिक समझोता है और भारत के ख़िलाफ़ एक रणनीति का इशारा कर रहा है , पाकिस्तान आतंक का गढ़ माना जाता है और बांग्लादेश के साथ यह समझौता भारत की सुरक्षा को ख़तरे में डाल सकता है ।
क्या है भारत की चिंता
भारत के कई उत्तर-पूर्वी राज्य जैसे असम, मणिपुर , नागालैंड , वेस्ट बंगाल आदि बांग्लादेश से अपनी सीमा साझा करते हैं , ऐसे में सुरक्षा की दृष्टि से ये चिंता का विषय बन सकता है , क्या क्या संभावित ख़तरे हो सकते हैं आइए जानते हैं ।
- ISI अपने पैर बांग्लादेश में जमाने की कोशिश करेगा , और घुसपैठ , स्लीपर सेल्स के द्वारा आतंक का ख़तरा बढ़ेगा ।
- आसाम, नागालैंड, मणिपुर के अलग थलग पड़ गये extremist को फ़ूड और फंडिंग देकर अपनी जगह बनाने का प्रयास करेगा
कुल मिलाकर इस वीज़ा फ्री समझौते को भारत के ख़िलाफ़ रणनीती का सीधा अनुमान लगाया जा सकता है ।
भारत को ऐसे में क्या करना चाहिए
भारत को पाकिस्तान-बांग्लादेश की इस राजनीति का तोड़ ढूँढना होगा, भारत को बांग्लादेश पर अपनी क्षमता अनुसार आर्थिक, राजनैतिक दबाव बनाना चाइए । भारत को उत्तर पूर्वी राज्यों में सुरक्षा व निगरानी कड़ी करनी होगी , इसके अलावा अलग थलग पड़े हुए एक्सट्रीमिस्ट समूहों को मुख्य धारा से जोड़ने का प्रयास करना देश की सुरक्षा के हित में महत्वपूर्ण कदम रह सकता है ।
क्या बांग्लादेश भूल गया है 1977 के अत्याचार ?
पाकिस्तान ने 1977 के युद्ध में बांग्लादेश के साथ जो शर्मनाक व्यवहार किया था उसके बाद दशकों से पाकिस्तान के साथ बांग्लादेश का रिश्ता सीमित रहा है , ऐसे में इस समझौते को पाकिस्तान की जीत के रूप में देखा जा रहा है , बांग्लादेश को इतिहास नहीं भूलना चाइए ,और अपने देश को आतंक का गढ़ नहीं बनना चाइए वरना परिणाम ठीक नहीं होंगे, बांग्लादेश में विद्रोह की स्थिति पैदा करना और शेख़ हसीना को पद से हटाना इस बात का प्रमाण है कि बांग्लादेश कि राजनीति किस और जा रही है ।